
28 Sep अगर मान ली कृष्ण की ये बातें ,मिलेगा खजाने का भंडार
अगर मान ली कृष्ण की ये बातें ,मिलेगा खजाने का भण्डार
एक बार कृष्ण और अर्जुन घूमने निकले तो रस्ते में एक गरीब ब्राह्मण भीख मांगते हुए मिला। उसे देखकर अर्जुन को उस पर दया आ गयी तब अर्जुन ने उस ब्राह्मण को स्वर्ण मुद्राओं की एक पोटली दी। राह में लुटेरों ने उससे ये पोटली छीन ली। गरीब ब्राह्मण फिर से भिक्षा मांगने लगा। उसे फिर से भीख मांगता हुआ देखकर अर्जुन ने फिर से उसे एक मूलयवान वस्तु दी।
इस बार ब्राह्मण उसे घर में रखे मटके में छुपाकर सो गया। इसी बीच ब्राह्मण की पत्नी उसी मटके को लेकर पानी भरने चली गयी। पानी भरते समय नदी की धरा के साथ वह माणिक भी बह गया।

अगर मान ली कृष्ण की ये बातें ,मिलेगा खजाने का भण्डार
ब्राह्मण बहुत दुखी हुआ और फिर से भिक्षावृति करने लगा। अर्जुन और कृष्ण ने फिर से उसे भीख मांगते हुए पाया। इस बार कृष्ण ने उसे दो कोडियां दी। अर्जुन ने कृष्ण से कहा की इससे उसका क्या होगा। कृष्ण ने अर्जुन से उस ब्राह्मण के पीछे जाने को कहा। रस्ते में उस ब्राह्मण की दृष्टि एक एक मछुआरे पर पड़ी। जिसके जाल में फसी एक मछली छूटने के लिए तड़प रही थी। ब्राह्मण को उस मछली पर दया आ गयी। उसने दो कौड़ियों में उस मछली का सौदा कर लिया। और उसे अपने कमंडल में डालकर नदी में छोड़ने चल पड़ा। तभी मछली के मुख से वही माणिक निकला।जो उसने घड़े में छिपाया था। तब ब्राह्मण ख़ुशी से चिलाने लगा ‘मिल गया ,मिल गया ‘भाग्यवश वह लुटेरा भी वहीं से गुजर रहा था। जिसने ब्राह्मण की मुद्राएं लूटी थीं।
उसे लगा कि ब्राह्मण उसे पहचान गया। और अब वह पकड़ा जायेगा। उसने माफ़ी मांगते हुए लूटी हुई सारी मुद्राएं ब्राह्मण को वापस लौटा दी।ये सब देख अर्जुन ने पूछा कि कृष्ण ये कैसी लीला है। तब श्री कृष्ण बोले ये सब सोच का अंतर् है। तुम्हारे दान देने पर उसने सिर्फ अपने बारे में सोचा। मेरे दान देने पर उसने मछली के दुःख के बारे में सोचा। जब आप दूसरों का भला करते हैं। तभी ईश्वर देता है।
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